त्वचा की संरचना, स्किन लेयर और रोग – Types of Skin Layer and Diseases in Hindi
मानव त्वचा की संरचना काफी जटिल है। शरीर के कुल वजन का लगभग 15% भाग, त्वचा होती है। स्किन के अनेक प्रकार के कार्य होते हैं, और यह आंतरिक अंगों को सुरक्षा प्रदान भी करती हैं। एक सामान्य त्वचा अनेक परतों (Skin Layer) में विभाजित होती है, जिनकी जानकारी इस लेख में दी गई है। मानव त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए त्वचा की संरचना क्या है, स्किन लेयर के प्रकार (Skin Layers in Hindi) और स्किन रोग के बारे में जानना आवश्यक हैं, इसलिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
मानव त्वचा की संरचना – Human Skin Anatomy in Hindi
शरीर की संरचना काफी जटिल है, जिसमें मानव त्वचा की संरचना एक विशेष भूमिका निभाती है। त्वचा शरीर का सबसे बड़ा बाहरी भाग है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 20 वर्ग फुट होता है। मानव त्वचा विभिन्न परतों से मिलकर बनी होती है, जिनकी मोटाई शारीरिक रचना और विभिन्न क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग होती है। ह्यूमन स्किन की औसत मोटाई 0.05 सेंटीमीटर से 0.65 सेंटीमीटर तक होती है। तापमान में बदलाव, सूक्ष्म जीवों, यांत्रिक दबाव, विकिरण और रसायनों से रक्षा करने के कारण त्वचा को शरीर का सुरक्षात्मक कवच भी कहा जाता है।
त्वचा की परतें 3 प्रकार की होती हैं, जो हैं:
- एपिडर्मिस (Epidermis)
- डर्मिस (dermis)
- चमड़े के नीचे की वसा या हाइपोडर्मिस (hypodermis)।
त्वचा की परतें – Layers of Skin in Hindi
मानव त्वचा की परतें अर्थात स्किन लेयर तीन प्रकार की होती हैं, जो कि इस प्रकार हैं:
एपिडर्मिस स्किन लेयर – Epidermis Layers of Skin in Hindi
मानव त्वचा की संरचना में स्किन की सबसे बाहरी परत को एपिडर्मिस कहा जाता है। इस परत में रक्त कोशिकाएं नहीं पाई जाती हैं। एपिडर्मिस में केराटिन (keratin) नामक एक सुरक्षात्मक प्रोटीन को संश्लेषित करने वाली कोशिकाएं पाई जाती हैं, इन कोशिकाओं को केराटिनोसाइट्स (keratinocytes) के नाम से जाना जाता है।
एपिडर्मिस (Epidermis) एक जलरोधी आवरण प्रदान करती है, अर्थात यह वाटरप्रूफ होती है। एपिडर्मिस में मेलानोसाइट्स (melanocytes) कोशिकाएं पाई जाती हैं, जो त्वचा को रंग प्रदान करने वाले पदार्थ मेलेनिन (melanin) का उत्पादन करती हैं। एपिडर्मिस 5 सबलेयर (sublayers) से मिलकर बनी होती है। गहराई से ऊपरी सतह की ओर इन परतों का क्रम इस प्रकार है:
1. स्ट्रेटम बेसल (Stratum basale):
एपिडर्मिस की सबसे निचली और गहरी परत को बेसल सेल लेयर (basal cell layer) कहा जाता है। बेसल कोशिकाओं में त्वचा के रंग के लिए जिम्मेदार मेलानोसाइट्स (melanocytes) पाई जाती हैं। इस लेयर में बेसल कोशिकाएं विभाजित होती हैं और पुरानी कोशिकाओं को एपिडर्मिस की बाहरी सतह की ओर धकेलती हैं। स्ट्रेटम बेसल को छोड़कर सभी परतों में केराटिनोसाइट्स कोशिकाएं होती हैं।
2. स्ट्रेटम स्पिनोसम (Stratum spinosum):
यह लेयर, एपिडर्मिस की सबसे मोटी परत है, जिसे स्क्वैमस सेल लेयर (squamous cell layer) भी कहा जाता है। इसमें नवीन केराटिनोसाइट्स (keratinocytes) कोशिकाएं होती है, जो एक रेशेदार प्रोटीन केराटिन का निर्माण करती है। केराटिन बालों, नाखूनों और त्वचा को कठोरता और जलरोधी गुण प्रदान करता है।
3. स्ट्रेटम ग्रैनुलोसम (Stratum granulosum):
एपिडर्मिस की स्ट्रेटम ग्रैनुलोसम परत में ऊपरी सतह की ओर केराटिनोसाइट्स की संख्या अधिक होती जाती है, जिसके कारण यह शरीर से तरल हानि को रोकने में मदद करती है।
4. स्ट्रेटम ल्यूसिडम (Stratum lucidum):
यह एपिडर्मिस में मृत केराटिनोसाइट्स कोशिकाओं की एक पतली,पारदर्शी परत होती है, जो केवल हाथों की हथेलियों और तलवों में पाई जाती है।
5. स्ट्रेटम कॉर्नियम (Stratum corneum):
यह एपिडर्मिस की सबसे बाहरी परत है, जो विषाक्त, उत्तेजक और एलर्जिक पदार्थों को बाहर करने का कार्य करती है। यह परत मृत और सपाट केराटिनोसाइट्स कोशिकाओं से बनी होती है।
एपिडर्मिस से सम्बंधित रोग – Epidermis Skin Diseases in Hindi
- सेबोरिक डर्मेटाइटिस (रूसी) (seborrheic dermatitis (dandruff))
- एटॉपिक डर्मेटाइटिस
- मुँहासे (acne)
- मेलेनोमा त्वचा कैंसर (melanoma)
- स्किन फ्रेगिलिटी सिंड्रोम (skin fragility syndrome)
- केरेटोसिस (keratosis)
- प्लाक सोरायसिस (plaque psoriasis)
- बालतोड़ (boils)
- एपिडर्मोइड सिस्ट (epidermoid cysts), इत्यादि।
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डर्मिस स्किन लेयर – Dermis Layer of Skin in Hindi
मानव त्वचा की संरचना में मध्य परत और एपिडर्मिस के नीचे की परत को डर्मिस कहा जाता है। यह मुख्य रूप से तंतुमय (Fibrous) प्रोटीन “कोलेजन” (collagen) या कठोर संयोजी ऊतक की बनी होती है। त्वचा की मध्य परत ‘डर्मिस’ में पसीने की ग्रंथियां, वसामय ग्रंथियां, लसीका वाहिकाएं (lymphatic vessels) और रक्त वाहिकाएं और बालों के रोम पाए जाते हैं।
शरीर के अंगो के आधार पर डर्मिस (dermis) की मोटाई अलग-अलग होती है। पलकों पर 0.6 मिलीमीटर तथा पीठ, हाथों की हथेलियाँ और पैरों के तलवे पर 3 मिलीमीटर मोटाई की डर्मिस होती है। कोलेजन (collagen) और इलास्टिन (elastin) की उपस्थिति के कारण डर्मिस (dermis) दिखाई देने वाली त्वचा के निर्माण में सहायता करती हैं। डर्मिस 2 परतों से मिलकर बनी होती है:
- डर्मिस की ऊपरी और पतली परत “पैपिलरी डर्मिस” (papillary dermis)
- डर्मिस की निचली, मोटी और जालीदार परत “रेटिकुलर डर्मिस” (reticular dermis)
डर्मिस (dermis) से सम्बंधित रोग – Dermis Layer of Skin Disease in Hindi
- सेल्युलाइटिस
- झुर्रियाँ (wrinkles)
- सिबेशियस सिस्ट (sebaceous cysts)
- डर्मोइड सिस्ट (dermoid cysts)
- पैरों पर हानि रहित और नरम त्वचा की गांठ, जिसे “डर्माटोफिब्रोमा”(dermatofibroma) कहा जाता है, इत्यादि।
हाइपोडर्मिस स्किन लेयर – Hypodermis Layer of Skin in Hindi
त्वचा की वसा कोशिकाओं (लिपोसाइट्स) से बनी सबसे निचली परत हाइपोडर्मिस (hypodermis) होती है। हाइपोडर्मिस (hypodermis) को चमड़े के नीचे की वसा (subcutaneous fat) के नाम से भी जाना जाता है। हाइपोडर्मिस (hypodermis) में अधिक मात्रा में रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं के अलावा ढीले संयोजी ऊतक, वसा ऊतक और इलास्टिन (elastin) पाए जाते हैं। हाइपोडर्मिस लेयर इन्सुलेटर के रूप में शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में सहायता करती है।
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त्वचा के कार्य – Functions of Skin in Hindi
मनुष्य के शरीर के कुल वजन का लगभग 15% भाग स्किन होती है। स्किन के अनेक कार्य होते हैं, जैसे:
- शरीर के आंतरिक अंगों को सुरक्षित रखने के लिए बाहरी वातावरण या आवरण प्रदान करना।
- मनुष्यों को रोगाणुओं और विषाक्त पदार्थों से बचाना।
- शरीर के तापमान और संवेदनाओं को नियंत्रित करना।
- शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने के साथ विटामिन डी संश्लेषण करना।
- शरीर को खूबसूरती प्रदान करना।
मानव त्वचा के रोग – Human Skin Diseases in Hindi
त्वचा की समस्याएं, रोग तथा विकार निम्न हैं:
- चकत्ते या रैशेज (Rash)
- रूसी (Dandruff)
- मुँहसे (Acne)
- सोरायसिस (Psoriasis)
- रोजेशिया (Rosacea)
- मस्सा (Warts)
- मेलेनोमा (Melanoma)
- वायरल एक्सान्थेम (Viral exanthem)
- शिंगल्स (हर्पीज जोस्टर) (Shingles)
- सेबोरिक केरेटोसिस (Seborrheic keratosis)
- सेल्युलाइटिस (Cellulitis)
- फोड़ा (Skin abscess)
- डर्माटाइटिस (Dermatitis)
- स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma)
- खाज (स्कैबीज) (scabies)
- टिनिया वर्सिकलर (सेहुँआ) (Tinea versicolor)
- एक्जिमा (eczema)
- हर्पीज़ (Herpes)
- हीव्स (शीतपित्त) (Hives)
- दाद (Ringworm), इत्यादि।
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