एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री पौधों में अंतर – Difference Between Monocot and Dicot Plants in Hindi
एकबीजपत्री (मोनोकोट) और द्विबीजपत्री (डायकोट) पौधों के दो अलग-अलग समूह या श्रेणी हैं, जो दोनों एंजियोस्पर्म से ही संबंधित हैं। एंजियोस्पर्म फूल वाले पौधे हैं जिनमें पत्तियाँ और बीज उत्पन्न करने की क्षमता होती है। मोनोकोट पौधों को मोनोकोटाइलडॉन (Monocotyledon) भी कहा जाता है, और डाइकोट को डाइकोटाइलडॉन (Dicotyledon) भी कहा जाता है। एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री में अंतर जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें?
एकबीजपत्री क्या हैं? – What are Monocotyledons Plants in Hindi
एकबीजपत्री (Monocotyledon) फूल वाले पौधों का एक समूह है, जिसकी प्रमुख विशेषता उनके बीजों में एक एकल भ्रूण पत्ती या बीजपत्र होना है। मोनोकोट पौधों में कई विशेषताएं पाई जाती हैं। एकबीजपत्री के उदाहरणों में घास, लिली, ऑर्किड, ताड़ और बांस शामिल हैं। एकबीजपत्री खाद्य फसलों में चावल, गेहूं, मक्का और गन्ना इत्यादि शामिल हैं।
एकबीजपत्री पौधों की विशेषताएँ – Characteristics of Monocot Plants in Hindi
- बीजपत्र (Cotyledon): एकबीजपत्री पौधों के बीज में केवल एक बीजपत्री होता है, जो अंकुरण के समय बीज को पोषण प्रदान करता है।
- पत्ती की शिराएं (Leaf Venation): इन पौधों की पत्तियों में शिराएं समानांतर (Parallel) होती हैं।
- जड़ प्रणाली (Root System): मोनोकोट में लगभग समान आकार की रेशेदार जड़ प्रणाली (Fibrous Root System) पाई जाती है।
- फूलों की संरचना (Floral Structure): फूल के हिस्से सामान्यतः 3 या उसके गुणज (Multiples of 3) में होते हैं।
- तना संरचना (Stem Structure): एकबीजपत्री पौधों के तने में संवहन ऊतक (Vascular Bundles) बिखरे हुए (Scattered) होते हैं। इन पौधों के तनों से शाखाएं नहीं निकलती हैं, अर्थात द्वितीयक वृद्धि (Secondary Growth) नहीं होती है।
- उदाहरण: गेहूं, मक्का, चावल, केला, गन्ना और नारियल जैसे पौधे।
द्विबीजपत्री क्या हैं? – What are Dicotyledons in Hindi
द्विबीजपत्री, जिन्हें डाइकोटाइलडॉन (Dicotyledon) भी कहा जाता है, इन फूलों के पौधों के बीजों में दो भ्रूणीय पत्तियाँ या बीजपत्र होते है। यह एंजियोस्पर्म पौधों का सबसे बड़ा समूह है, जिसमें फलों के भीतर बंद बीज पैदा होते हैं। द्विबीजपत्री की पत्तियों पर जाल जैसी नसें, चार या पाँच के गुणक में फूल के भाग और एक मूल जड़ प्रणाली होती है। द्विबीजपत्री पौधे के तने का व्यास समय के साथ बड़ा होता जाता है, और द्वितीयक शाखाएँ निकलती हैं। इनमें जाइलम और फ्लोएम ऊतक भी पाए जाते हैं।
द्विबीजपत्री पौधों की विशेषताएँ – Characteristics of Dicot Plants in Hindi
- बीजपत्र (Cotyledon): द्विबीजपत्री पौधों के बीज में दो बीजपत्र होते हैं, जो अंकुरण के समय बीज को पोषण प्रदान करता है।
- पत्ती की शिराएं (Leaf Venation): इन पौधों की पत्तियों में शिराएं जालीनुमा (Reticulate) होती हैं।
- जड़ प्रणाली (Root System): डायकोट में मूसला जड़ प्रणाली (Tap Root System) होती है, जो शाखाओं में विभाजित होती है।
- फूलों की संरचना (Floral Structure): फूल के भाग सामान्यतः 4 या 5 या उनके गुणज (Multiples of 4 or 5) में होते हैं।
- तना संरचना (Stem Structure): तने से द्वितीयक शाखाएँ निकलती हैं, जिससे तना मोटा होता है। इनके तने में संवहन ऊतक छल्ले के रूप में व्यवस्थित होते हैं।
- उदाहरण: आम, सरसों, मूंगफली, गुलाब, सूरजमुखी, सेम, मटर, सोयाबीन और दाल, जैसे पौधे।
एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री में अंतर – Difference Between Monocot and Dicot Plants in Hindi
एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री पौधों के बीच अंतर मुख्य रूप से उनके बीज, पत्तियों, जड़ों और पुष्पीय संरचनाओं में पाया जाता है। यहां इनके बीच प्रमुख अंतर दिए गए हैं:
विशेषताएं | एकबीजपत्री (Monocot) | द्विबीजपत्री (Dicot) |
बीजपत्र | बीज में केवल एक बीजपत्र होता है। | बीज में दो बीजपत्र होते हैं। |
पत्ती की शिराएं | पत्ती की शिराएं समानांतर (Parallel) होती हैं। | पत्ती की शिराएं जालीनुमा (Reticulate) होती हैं। |
जड़ प्रणाली | रेशेदार जड़ प्रणाली (Fibrous root system) होती है। | मूसला जड़ प्रणाली (Tap root system) होती है। |
फूल के अंगों की संख्या | पुष्पांग आमतौर पर 3 या उसके गुणज होते हैं। | पुष्पांग 4 या 5 या उनके गुणज में होते हैं। |
तना संरचना | संवहन ऊतक (Vascular bundles) बिखरे हुए होते हैं। | संवहन ऊतक छल्ले के रूप में व्यवस्थित होते हैं। |
तने का व्यास | तने में द्वितीयक शाखाएं नहीं होती। | तने में द्वितीयक शाखाएँ पाई जाती है। |
उदाहरण | गेहूं, मक्का, चावल, नारियल, केला। | आम, सरसों, मूंगफली, गुलाब, सूरजमुखी। |
निष्कर्ष
एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री पौधे, एंजियोस्पर्म पौधों के दो प्रमुख समूह हैं। दोनों के बीच संरचनात्मक और कार्यात्मक भिन्नताएं हैं। इस आर्टिकल के अध्ययन से हमें पौधों के विकास, उनके अनुकूलन और पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी भूमिका को समझने में मदद मिलती है।
Post Comment