पादप वर्णक/पिगमेंट के प्रकार: जानें पत्तियाँ रंग क्यों बदलती हैं? – Plant Pigments And Their Role In Plants In Hindi

क्या आपने कभी सोचा है कि पौधों में अलग अलग रंग कहाँ से आते हैं? कुछ पत्तियाँ हरी और कुछ लाल-पीली क्यों होती हैं? या फिर पत्तियाँ रंग क्यों बदलती हैं? हालाँकि पौधों में दिखाई देने वाले अनेक रंगों के पीछे पादप वर्णक (plant pigments) ही होते हैं। पौधों में इतने सारे रंग क्यों होते हैं? पादप वर्णक क्या हैं, प्लांट पिगमेंट के प्रकार और उनकी विशेषताएं जानने के लिए लेख पूरा पढ़ें।

पिगमेंट या पादप वर्णक क्या होते हैं – What Is Plants Pigment In Hindi

जीव विज्ञान में, वर्णक पौधे या पशु कोशिका में पाया जाने वाला कोई भी रंगीन पदार्थ है। रंगद्रव्य (Pigments) अर्थात वर्णक वे रासायनिक पदार्थ हैं, जो दृश्य प्रकाश की विभिन्न तरंग दैर्ध्य को अवशोषित और परावर्तित करते हैं, जिससे वे रंगीन दिखाई देते हैं। पौधे, फूल, शैवाल, कुछ प्रकाश संश्लेषक बैक्टीरिया और यहां तक कि जानवरों की त्वचा में विशेष प्रकार के रंगद्रव्य होते हैं, जो उन्हें रंग प्रदान करते हैं और कुछ तरंग दैर्ध्य को अवशोषित करने की क्षमता भी रखते हैं।

पौधों में वर्णक क्यों जरूरी हैं – Why Are Pigments Important In Plants In Hindi

पौधों में वर्णक क्यों जरूरी हैं - Why Are Pigments Important In Plants In Hindi

पौधों में प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण करने और प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) नामक प्रक्रिया के माध्यम से शर्करा का निर्माण करने की एक अनूठी विशेषता होती है। यह प्रक्रिया रंगद्रव्य द्वारा प्रकाश ऊर्जा के अवशोषण से शुरू होती है। रंगद्रव्य कुछ विशेष प्रकार के कार्बनिक अणु होते हैं। प्रकाश संश्लेषण, एक जैविक प्रक्रिया (biological process) है, जिसके लिए क्लोरोफिल नामक हरे रंग के वर्णक के साथ पीले और लाल रंग के अन्य वर्णक की आवश्यकता होती है। अतः पौधों में वर्णक का रोल निम्न कार्यों में होता है:

  • प्रकाश संश्लेषण में (Photosynthesis) ।
  • पौधों की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करने में।
  • पौधों को यूवी और दृश्य प्रकाश से होने वाले नुकसान से बचाने में।
  • पत्तियों, फूलों और फलों को रंग प्रदान करने में।

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प्लांट पिगमेंट के प्रकार – Types Of Pigment In Plants In Hindi

पौधों में वर्णक के प्रकार - Types Of Pigment In Plants In Hindi

पौधों के रंग का कारण बनने वाले प्लांट पिगमेंट के प्रकार में क्लोरोफिल, एंथोसायनिन (anthocyanins), बीटालेंस (betalains), कैरोटीनॉयड (carotenoids), पॉरफाइरिन (porphyrins) और अन्य वर्णक शामिल हैं। ये सभी रंगद्रव्य एक निश्चित तरंग दैर्ध्य के प्रकाश को अवशोषित करके रासायनिक प्रक्रियाओं को उत्तेजित करते हैं।
मुख्य रूप से पत्तियों का रंग तीन पादप वर्णक (प्लांट पिगमेंट) द्वारा निर्धारित होता है: (1) क्लोरोफिल, (2) कैरोटीनॉयड, (3) एंथोसायनिन। आइये पादप वर्णक के प्रकार को विस्तार से समझते हैं-

1. क्लोरोफिल (Chlorophyll):

यह पादप वर्णक पत्तियों को हरा रंग देता है और प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है। क्लोरोफिल सभी हरे पौधों की पादप कोशिकाओं के भीतर पाए जाने वाले प्राथमिक वर्णक में से एक है। क्लोरोफिल का निर्माण क्लोरोप्लास्ट नामक कोशिकांग (organelles) द्वारा होता है। पौधे की पत्तियों और तने के कोमल भाग का हरा रंग क्लोरोफिल वर्णक की उपस्थिति के कारण होता है। क्लोरोफिल वर्णक कई प्रकार के होते हैं और इन्हें मुख्य रूप से उनकी संरचना, कार्यों और अन्य विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। क्लोरोफिल वर्णक के प्रकार निम्न हैं:
1. क्लोरोफिल ए (Chlorophyll a) – शैवाल (algae), सायनोबैक्टीरिया और सभी बड़े पेड़-पौधों में पाया जाता है। क्लोरोफिल ए गहरे हरे रंग का उत्पादन करता है।
2. क्लोरोफिल बी (Chlorophyll b) – केवल हरे शैवाल और ऊँचे पौधों में पाया जाता है। क्लोरोफिल बी पीले-हरे (yellowish green) रंग का उत्पादन करता है। जो पौधे कम रोशनी की स्थिति में रहते हैं उनमें उन पौधों की अपेक्षा अधिक क्लोरोफिल बी होता है, जिन्हें बहुत अधिक धूप मिलती है।
3. क्लोरोफिल सी (Chlorophyll c) – कुछ प्रकाश संश्लेषक क्रोमिस्टा (Chromista) और कुछ समुद्री शैवाल (marine algae) में पाया जाता है।
4. क्लोरोफिल डी (Chlorophyll d) – केवल लाल शैवाल में पाया जाता है।
5. क्लोरोफिल ई (Chlorophyll e) – केवल शैवाल में पाया जाता है।
इन सभी पांच प्रकार के क्लोरोफिल वर्णकों में, क्लोरोफिल ए और बी को प्राथमिक प्रकाश संश्लेषक वर्णक माना जाता है।

2. कैरोटीनॉयड (Carotenoids):

कैरोटीनॉयड (Carotenoids):

पौधे में केवल एकमात्र हरा रंग ही नहीं होता है। फल, सब्जियाँ और फूल कई अन्य रंगों के होते हैं! पौधों में पीला, नारंगी और लाल रंग आमतौर पर कैरोटीनॉयड नामक पिगमेंट के समूह से आते हैं। सबसे आम कैरोटीनॉयड हैं: बीटा-कैरोटीन, लाइकोपीन, ल्यूटिन, ज़ेक्सैंथिन (Zeaxanthin)|
बीटा-कैरोटीन एक सामान्य कैरोटीनॉयड है। इससे चमकीले पीले और नारंगी रंग पैदा होते हैं, जो हम सूरजमुखी के फूलों में देखते हैं। गाजर और शकरकंद के नारंगी रंग के लिए बीटा-कैरोटीन जिम्मेदार है।
शरद ऋतु (Autumn) में पत्ते लाल और पीले दिखाई देते हैं, क्योंकि कैरोटीनॉयड का अधिक बनता है। और इसका कारण कम धूप की प्रतिक्रिया में क्लोरोफिल का टूटना है।

3. फ्लेवोनोइड्स (flavonoids):

फ्लेवोनोइड्स एक प्रकार के पीले रंग के पिगमेंट हैं, जो नींबू, अंगूर, संतरे और पीले रंग के फूलों में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इस प्रकार के वर्णक (पिगमेंट) बड़े पैमाने पर पादप कोशिका के लवक (Plastid) और साइटोप्लाज्म में पाए जाते हैं। यह फूलों और फलों के कुछ रंग और सुगंध के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। फ्लेवोनोइड्स वाले फूल पोलिनेटर को अधिक आकर्षित करते हैं। फ्लेवोनोइड का सबसे आम प्रकार एंथोसायनिन है।

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एंथोसायनिन (Anthocyanins):

एंथोसायनिन (Anthocyanins):

यह पादप वर्णक पौधों की पत्तियों के बैंगनी और लाल रंग का कारण बनता है। एंथोसायनिन एक प्रकार का फ्लेवोनोइड पिगमेंट (flavonoid pigments) है, जो संवहनी पौधे (vascular plants), के सभी ऊतकों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। यह वर्णक तने, पत्तियों, जड़ों, फलों और फूलों को रंग प्रदान करने का कार्य करता है। गुलाब, सेब, चेरी, लाल पत्तागोभी और मेपल के पत्तों (maple leaves) में लाल रंग एंथोसायनिन के कारण होता है।

पादप वर्णक से संबंधित सवाल-जवाब

Q1. पत्तियों का रंग पीला किसके कारण होता है? – What causes yellow color of leaves In Hindi

उत्तर – क्लोरोफिल की कमी और कैरोटीनॉयड के अधिक उत्पादन के कारण पत्तियों का रंग पीला होता है।

Q2. पत्तियों और फूलों का रंग लाल क्यों होता है? – Why are leaves and flowers red in color In Hindi

उत्तर – एंथोसायनिन नाम के रंगद्रव्य अर्थात पिगमेंट के कारण पौधों की पत्तियों और फूलों का रंग बैंगनी और लाल होता है।

Q3. पत्तियां रंग क्यों बदलती हैं? – Why Do Leaves Change Color In Hindi

पत्तियां रंग क्यों बदलती हैं? - Why Do Leaves Change Color In Hindi

उत्तर – पतझड़ (fall season) में पत्तियाँ अपना रंग बदल लेती हैं, क्योंकि पिगमेंट की मात्रा बदल जाती है। पतझड़ (सितंबर-नवंबर) में दिन छोटे होने लगते हैं और धूप कम होने लगती है। इससे अधिकाँश पौधों में क्लोरोफिल का उत्पादन कम हो जाता है। जैसे ही क्लोरोफिल कम होता है, अन्य पिगमेंट अपना रंग दिखाना शुरू कर देते हैं। यही कारण है कि पतझड़ में पत्तियाँ पीली या लाल हो जाती हैं या अपना रंग बदल लेती हैं।

Q4. सर्दियों में पेड़ अपनी पत्तियाँ क्यों गिरा देते हैं? – Why do Trees Lose Their Leaves in Winter In Hindi

उत्तर – जब पेड़ों से पत्तियाँ गिरती हैं, तो इसे विच्छेदन (abscission) कहते हैं। पौधों में ऑक्सिन (auxin) नामक हार्मोन होता है, जो उन्हें बढ़ने में मदद करता है। यह ऑक्सिन ही है जो पौधों को सूर्य की ओर मुड़ने और उनका सामना करने का कारण बनता है, ताकि वे अधिक प्रकाश को अवशोषित कर सकें। प्रत्येक पत्ती के आधार पर सूक्ष्म नलिकाओं से एक परत एब्सिशन परत (abscission layer) बनी होती है। सर्दियों के तापमान के कारण ऑक्सिन का उत्पादन धीमा हो जाता है, और यह परत टूट जाती है, जिससे पत्तियाँ पेड़ों से अलग हो जाती हैं। सर्दियों के दौरान पत्तियाँ झड़ने से पेड़ से पानी का वाष्पीकरण कम हो जाता है और उसे जीवित रहने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष – जिस तरह क्लोरोफिल के कारण पत्तियों का रंग हरा होता है वैसे ही कैरोटीनोइड के कारण पत्तियां नारंगी या सुनहरे रंग की होती हैं और एंथोसायनिन के कारण लाल और गुलाबी रंग की होती हैं।

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