टेक्योन या टैच्योन्स: प्रकाश की गति से भी तेज कण की सम्पूर्ण जानकारी – Tachyon Particle Travels Faster Than Light in Hindi

टेक्योन या टैच्योन्स: प्रकाश की गति से भी तेज कण की सम्पूर्ण जानकारी - Tachyon Particle Travels Faster Than Light in Hindi

टेक्योन या टैच्योन्स: प्रकाश की गति से भी तेज कण की सम्पूर्ण जानकारी – Tachyon Particle Travels Faster Than Light in Hindi

सैद्धांतिक भौतिकी के क्षेत्र में, प्रकाश से भी तेज यात्रा करने की अवधारणा लंबे समय से आकर्षण का विषय रही है। ऐसी गति प्राप्त करने के लिए टेक्योन नामक कण की सैद्धांतिक अवधारणा प्रचलन में है। टेक्योन एक ऐसा काल्पनिक उपपरमाण्विक कण है, जो हमेशा प्रकाश की गति से भी तेज गति से चलता है। हालाँकि टैच्योन अर्थात Tachyon कण किसी भी प्रयोग में भौतिक रूप से नहीं पाए गए हैं, लेकिन उनका अस्तित्व गणितीय रूप से परिकल्पित है। आज इस लेख में आप प्रकाश से भी तेज गति वाले इस मायावी टैच्योन्स कण के बारे में जानेंगे। टैच्योन या टेक्योन क्या है? (What are Tachyon Particles in Hindi) इनकी खोज, गुण, द्रव्यमान की सम्पूर्ण जानकारी के लिए लेख पूरा पढ़ें।

टैच्योन या टेक्योन क्या है? – What are Tachyon Particles in Hindi

टैच्योन या टेक्योन क्या है? - What are Tachyon Particles in Hindi

शब्द “टैच्योन”(Tachyon) ग्रीक शब्द “टैची” (tachy) से लिया गया है, जिसका अर्थ है तेज। आसान शब्दो में कहे तो, “टेक्योन या टैच्योन एक काल्पनिक कण है, जो प्रकाश की गति से भी तेज है।” वैसे तो भौतिक विज्ञान के सिद्धांतों के जरिए हम टेक्योन कण के सटीक वेग को नहीं माप सकते, परंतु वैज्ञानिक मानते है की इसका वेग, प्रकाश के वेग से थोड़ा अधिक है। अन्य उपपरमाण्विक कणों के विपरीत, टेक्योन कण असामान्य गुण प्रदर्शित करते हैं, जिससे कण की गति बढ़ने के साथ ऊर्जा कम हो जाती है। जबकि अन्य उपपरमाण्विक कणों की गति में वृद्धि के साथ ऊर्जा बढ़ती है। इस प्रकार, यदि टैक्योन कण को प्रकाश की गति तक धीमा करें तो, उसके लिए अनंत मात्रा में ऊर्जा देने की आवश्यकता होगी।

टेक्योन की खोज – Discovery of Tachyon Particles in Hindi

इन प्रकाश से भी तेज (सुपरल्यूमिनल) कणों से संबंधित पहली परिकल्पना 1904 में जर्मन भौतिक विज्ञानिक अर्नोल्ड सोमरफेल्ड (Arnold Sommerfeld) द्वारा दी गई थी, जिन्होंने उन्हें मेटा-कण कहा था। इसके बाद 1967 में जेराल्ड फीनबर्ग (Gerald Feinberg) ने पहली बार सापेक्षता के संबंध में प्रकाश से भी तेज कणों और उनकी गतिशीलता से संबंधित एक पेपर में टेक्योन शब्द का प्रयोग किया था।

वर्तमान में टेक्योन की उल्लेख स्टडी के लिए सुदर्शन का नाम स्पष्ट उल्लेख के योग्य है। भारतीय-अमेरिकी भौतिक विज्ञानी, ई.सी.जी. सुदर्शन (E.C.G Sudarshan) ने टेक्योन्स के लिए क्वांटम सिद्धांत का प्रस्ताव रखा, जिसने आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती दी कि कोई भी चीज प्रकाश से तेज नहीं चल सकती। हालांकि वैज्ञानिक अभी भी इसके अस्तित्व को लेकर अलग-अलग बयान देते रहे हैं, परंतु सत्य यह है कि इस कण को आज तक हम खोजने में सक्षम नहीं हो पाए हैं।

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टेक्योन के गुणProperties of Tachyon Particles in Hindi

  • वर्तमान में गति और ऊर्जा: टैच्योन कणों में ऊर्जा कम होने के साथ-साथ गति बढ़ने का असामान्य गुण होता है। जैसे-जैसे Tachyon का वेग अनंत के करीब पहुंचता है, ऊर्जा शून्य के करीब पहुंचने लगती है। गति बढ़ने और ऊर्जा घटने का टेक्योन कणों का यह गुण अन्य उपपरमाण्विक कणों (जिनकी ऊर्जा गति के साथ बढ़ती  है) के विपरीत है।
  • धीमी गति: टैच्योन्स कणों के लिए संभव सबसे धीमी गति प्रकाश की गति है। प्रकाश की गति से तेज इन टैक्यॉन कणों को धीमा करने के लिए अनंत ऊर्जा की आवश्यकता होगी।
  • द्रव्यमान: टैच्योन का द्रव्यमान काल्पनिक माना जाता है।
  • त्वरण: जब एक टेक्योन कण ऊर्जा खोता है, तो यह तेज हो जाता है। यह जितनी तेज गति से यात्रा करेगा, इसमें ऊर्जा उतनी ही कम होगी।
  • समय में पीछे: Tachyon एक ऐसा सैद्धांतिक कण है, जो प्रकाश से भी तेज गति से यात्रा करते हैं और समय में पीछे की ओर चलते हैं।

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क्या टैक्यॉन्स का उपयोग समय यात्रा के लिए किया जा सकता है? – Can Tachyons be used for Time Travel in Hindi

क्या टैक्यॉन्स का उपयोग समय यात्रा के लिए किया जा सकता है? - Can Tachyons be used for Time Travel in Hindi

यह सिद्धांत दिया गया है कि टेक्योन कण अतीत (भूतकाल) की समय यात्रा की कुंजी हो सकते हैं। सैद्धांतिक भौतिकविद अल्बर्ट आइंस्टीन और अर्नोल्ड सोमरफेल्ड ने एक विचारात्मक प्रयोग तैयार किया, जिसे टैकियोनिक एंटीटेलीफोन (tachyonic antitelephone) कहा जाता है। “टैकियोनिक एंटीटेलीफोन” उपयोगकर्ता को अपने अतीत को एक संदेश भेजने की अनुमति देता है, क्योंकि टेक्योन सिग्नल समय में पीछे की ओर यात्रा कर सकते हैं। सामान्य सापेक्षता (general relativity) के अनुसार, जैसे ही कोई कण प्रकाश की गति के करीब पहुंचता है, समय धीमा हो जाता है, इसलिए light speed barrier को पार करने से समय का प्रवाह उलट सकता है।

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