प्रोटीन क्या है, इसके प्रकार, कार्य और उपयोग – What is Protein, Types, Functions and Uses in Hindi

प्रोटीन क्या है, इसके प्रकार, कार्य और उपयोग - What is Protein, Types, Functions and Uses in Hindi

प्रोटीन क्या है, इसके प्रकार, कार्य और उपयोग – What is Protein, Types, Functions and Uses in Hindi

Protein Types and Uses in Hindi: प्रोटीन एक मैक्रोन्यूट्रिएंट है। यह भोजन में पाए जाने वाले उन तीन प्रमुख पोषक तत्वों में से एक है, जिसकी शरीर को सबसे अधिक जरूरत होती है। प्रोटीन शरीर के ऊतकों और मांसपेशियों के रखरखाव और निर्माण के लिए आवश्यक है। यह अनेक जैविक प्रक्रियाओं में शामिल हैं, जिनमें चयापचय से लेकर शरीर के भीतर संरचना और परिवहन प्रतिक्रियाएं शामिल हैं। प्रोटीन के विभिन्न प्रकार, कार्य और मानव जीवन में इसके महत्व को समझने से जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिल सकती है। आइये जानते हैं प्रोटीन क्या है (What is protein in hindi biology), प्रोटीन के प्रकार, कार्य, महत्त्व और उपयोग के बारे में।

प्रोटीन क्या है – What is Protein in Hindi 

प्रोटीन क्या है - What is Protein in Hindi 

Protein शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द प्रोटियोस (Proteos) से हुई हैं, जिसका अर्थ है To take the first place, क्योंकि यह प्रत्येक जीव का प्राथमिक एवं अनिवार्य घटक है। ये शरीर में विभिन्न जैविक कार्य (Biological functions) करते है।

प्रोटीन, अमीनो एसिड से बने आवश्यक मैक्रोमोलेक्यूल्स और नाइट्रोजन युक्त जैवकीय यौगिकों का एक महत्वपूर्ण वर्ग है। यह प्रकृति में बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। दूध, पनीर, दालें, मछली आदि सभी प्रोटीन के प्रमुख स्रोत हैं। यह शरीर के प्रत्येक भाग में पाया जाता है और शरीर की संरचना का मूल आधार है। प्रोटीन विभिन्न शारीरिक एवं जैवरासायनिक क्रयाओं में भाग लेता है।

सभी प्रोटीन का निर्माण अनेक अमीनो एसिड नामक छोटी-छोटी इकाइयों के एक लम्बी श्रख्ला के रूप जुड़ने से होता हैं। सभी प्रोटीन एक प्रकार से 25 अल्फा ऐमीनो एसिड्स से बने प्राकृतिक बहुलक होते हैं, जिनमें से प्रत्येक ऐमीनो अम्ल परस्पर पेप्टाइड बन्धों (peptide bond) से जुड़े रहते है। प्रकृति में सैकड़ों अमीनो एसिड मौजूद हैं, लेकिन मानव शरीर उनमें से लगभग 25 का ही उपयोग करता है। इनमें से 10 ऐमीनो अम्ल ऐसे होते हैं, जिन्हें हमारा शरीर संश्लेषित नहीं कर पाता है, इन्हें आहार के रूप में बाहर से प्राप्त किया जाता है। inइन 10 एमीनो अम्ल को आवश्यक अमीनो अम्ल कहा जाता है, जैसे: वैलीन, ल्यूसीन, आइसोल्यूसीन, आर्जिनीन, लाइसीन, थ्रिऑनीन, मेथिओनिन, फेनिल ऐलानिन, टिप्टोफेन, हिस्टिडीन।

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प्रोटीन के प्रकार – Types of Protein in Hindi

प्रोटीन के प्रकार - Types of Protein in Hindi

Protein को उनकी संरचना और कार्य के आधार पर कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रोटीन के प्रकार निम्न हैं:

1. संरचनात्मक प्रोटीन के प्रकार – Structural Protein in Hindi

ये प्रोटीन कोशिकाओं और ऊतकों का निर्माण और संरचना प्रदान करते हैं। संरचनात्मक प्रोटीन में कोलेजन, केराटिन और इलास्टिन शामिल हैं, जो त्वचा, टेंडन और लिगामेंट्स जैसे शरीर के विभिन्न हिस्सों की ताकत और लचीलेपन में योगदान देते हैं।

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2. एंजाइम – Enzymes in Hindi

एंजाइम प्रोटीन होते हैं, जो शरीर के भीतर रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं। उदाहरण के रूप में एमाइलेज एंजाइम – जो कार्बोहाइड्रेट के टूटने में सहायता करता है, और लाइपेज एंजाइम – जो वसा के पाचन को सुगम बनाता है।

3. हार्मोनल प्रोटीन के प्रकार – Hormonal Protein in Hindi

यह प्रोटीन वृद्धि, विकास और चयापचय जैसी विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। जैसे इंसुलिन – जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है, और वृद्धि हार्मोन (growth hormone) – जो वृद्धि और विकास को प्रभावित करता है।

4. परिवहन प्रोटीन – Transport Protein in Hindi

शरीर के भीतर पोषक तत्वों, गैसों और अन्य महत्वपूर्ण अणुओं की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने में परिवहन प्रोटीन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रक्त में ऑक्सीजन ले जाने के लिए हीमोग्लोबिन परिवहन प्रोटीन का एक प्रमुख उदाहरण है।

5. एंटीबॉडीज – Antibodies in Hindi

एंटीबॉडी एक विशेष प्रकार के प्रोटीन होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह प्रोटीन शरीर में हानिकारक पदार्थों को पहचानते हैं और उन्हें बेअसर करते हैं, जिससे वायरल, बैक्टीरियल संक्रमण और बीमारियों से बचाव होता है।

प्रोटीन की विशेषताएँ – Characteristics of Protein in Hindi

Protein अति जटिल नाइट्रोजन युक्त बृहद कार्बनिक अणु (macromolecules) हैं, जो जीवित कोशिकाओं में पाए जाते हैं। प्रोटीन की विशेषताएं निम्न हैं:

  1. मैक्रोमोलेक्यूल्स प्रोटीन एक रंगहीन, गन्धहीन, स्वादहीन, अक्रिस्टलीय (amorphous) पदार्थ है।
  2. प्रोटीन के गलनांक निश्चित नहीं होते हैं।
  3. इनके अणुओं का आकार बहुत बड़ा होता है और अणुभार बहुत उच्च।
  4. जलने अथवा सड़ने पर प्रोटीन ऑक्सीकृत होकर नाइट्रोजन, कार्बन डाईऑक्साइड, जल और ऐमीन जैसे पदार्थ बनते हैं।
  5. किसी निर्जीव शरीर के सड़ने से उत्पन्न होने वाली दुर्गन्ध ऐमीनो अम्लों के बनने के कारण आती है।
  6. प्रोटीन का निर्माण ऐमीनो अम्लों से होता है, इसलिए अमीनो (-NH2 ) और कार्बोक्जिलिक एसिड (-COOH) कार्यात्मक समूहों की उपस्थिति के कारण ही प्रोटीन अम्ल और क्षारक दोनों के साथ लवण बनाते हैं।
  7. Protein अम्ल, क्षार और एन्जाइम द्वारा जल अपघटित होकर ऐमीनो अम्लों में बदल जाते हैं।

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प्रोटीन के कार्य और महत्व – Functions and Importance of Protein in Hindi

प्रोटीन के कार्य और महत्व - Functions and Importance of Protein in Hindi

Protein हमारे भोजन का अनिवार्य घटक होते हैं। वसा और कार्बोहाइड्रेट के बिना मनुष्य काफी समय तक जीवित रह सकता है, किन्तु प्रोटीन के बिना अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता है। प्रोटीन मानव शरीर में विभिन्न कार्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • शरीर के नए ऊतकों का निर्माण और मांसपेशियों, अंगों तथा हड्डियों सहित शरीर के ऊतकों की मरम्मत करना।
  • एन्जाइमों का निर्माण करना।
  • कार्बोहाइड्रेट और वसा की अनुपस्थिति में शरीर के लिए ऊर्जा देना।
  • माँसपेशियों का संचालन।
  • माँसपेशियों में ऑक्सीजन का संचय करना।
  • एंटीबॉडी के रूप में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में मदद करना।
  • प्रोटीन पूरे शरीर में आवश्यक अणुओं, जैसे ऑक्सीजन और पोषक तत्वों के विनिमय को सुगम बनाता है।

प्रोटीन के उपयोग – Uses of Protein in Hindi

  • आहार के रूप में – प्रोटीन हमारे भोजन का आवश्यक अंग है, जैसे अण्डा, माँस, दाल इत्यादि मनुष्य को प्रोटीन प्रदान करते है।
  • एन्जाइम – समस्त प्रकार के एन्जाइम प्रोटीन से बने होते हैं। ये विशिष्ट जैविकीय क्रियाओं को उत्प्रेरित करते है।
  • हॉर्मोन – शरीर की अनेक आवश्यक क्रिया में भाग लेने वाले हॉर्मोन प्रोटीन ही है।
  • वस्त्र उद्योग में – केसीन नामक प्रोटीन का उपयोग कृत्रिम ऊन और रेशे बनाने में किया जाता है।
  • चमड़ा उद्योग – चमड़े का निर्माण जानवरों की त्वचा में कोलेजन नामक तंतु-प्रोटीन होता है, जिससे वास्तविक चमड़े का निर्माण होता है।
  • शरीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण करने में – रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य करता है।

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औषधी उद्योग में प्रोटीन का उपयोग – Medical Importance of Protein in Hindi

  • जिलेटिन का उपयोग केप्सूल (capsules) और फोटोग्राफी के फिल्म तथा प्लेट बनाने में किया जाता है।
  • मेडिसिन के लिए आवश्यक ऐमीनो अम्ल के निर्माण के लिए प्रोटीन का जल अपघटन किया जता है।
  • प्लाज्मा प्रोटीन (plasma protein) का उपयोग गहरी दुर्घटना से पहुँचने वाले सदमे के उपचार में किया जाता हैं।
  • मधुमेह (diabetes) रोगियो को रक्त शर्करा के अवशोषण का नियन्त्रण करने के लिए इन्सुलिन (insulin) प्रोटीन दिया जाता है।
  • वाइरस से उत्पन्न होने वाली बीमारियों (viral disease) जैसे – चेचक और फ्लू आदि के उपचार के लिए वैक्सीन (vaccines) बनाने में।

प्रोटीन की कमी से रोग – Protein Deficiency Diseases in Hindi

प्रोटीन की कमी से रोग - Protein Deficiency Diseases in Hindi

शरीर में प्रोटीन की कमी से अनेक रोग हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

1. क्वाशिओरकोर (Kwashiorkor)

क्वाशिओरकोर अपर्याप्त प्रोटीन के सेवन के कारण होने वाली कुपोषण संबंधी गंभीर बीमारी है, जो अक्सर बच्चों में देखी जाती है। क्वाशिओरकोर रोग में सूजन (एडिमा), मांसपेशियों की बर्बादी और अवरुद्ध विकास जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

2. मरास्मस (Marasmus)

गंभीर प्रोटीन-ऊर्जा कुपोषण का दूसरा रूप, मरास्मस कैलोरी और प्रोटीन दोनों की कमी के कारण होता है, जिससे गंभीर वजन घटाने, मांसपेशियों की बर्बादी और कमजोर प्रतिरक्षा समारोह होता है।

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3. प्रोटीन-ऊर्जा कुपोषण (पीईएम) (Protein-Energy Malnutrition (PEM))

प्रोटीन और कैलोरी के अपर्याप्त सेवन के परिणामस्वरूप पीईएम की समस्या उत्पन्न होती है। इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना, विकास अवरुद्ध होना और शारीरिक अंगों के कार्य में बाधा उत्पन्न होने जैसे लक्षण प्रगट होते हैं।

4. हाइपोएल्ब्यूमिनमिया (Hypoalbuminemia)

रक्त प्लाज्मा में एल्ब्यूमिन प्रोटीन के निम्न स्तर की स्थिति को हाइपोएल्ब्यूमिनमिया कहा जाता है। इससे द्रव प्रतिधारण (एडिमा), ऊतक में सूजन और प्रतिरक्षा कार्यों में गड़बड़ी जैसे लक्षण शामिल  है।

5. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular Dystrophy)

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (एमडी), वंशानुगत विकारों का एक समूह है। इसके परिणामस्वरूप मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर हो जाती हैं, जिससे चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। यह स्थितियाँ अक्सर मांसपेशियों के कार्य के लिए आवश्यक विशिष्ट प्रोटीन के निर्माण के लिए जिम्मेदार जीन में उत्परिवर्तन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं।

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