अल्कोहल: सैकड़ो वर्षों तक मृत शरीर को खराब होने से बचाने वाला परिरक्षक – Alcohol Preserving Liquid for Specimens in Hindi
सैकड़ो वर्षों तक जीवों के मृत शरीर को खराब होने या सड़ने से बचाने के लिए उन्हें एक विशेष घोल या तरल में डुबाकर रखा जाता है, जिसे तरल परिरक्षक कहते हैं। आपने संभवतः जीव विज्ञान की प्रयोगशाला में जीवों के नमूनों को एक तरह के घोल में रखा देखा होगा। सामान्यतः जीवों के मृत शरीर को खराब होने से बचाने के लिए उच्च सांद्रता वाली अल्कोहल का उपयोग किया जाता है। लेकिन शराब इतनी अच्छी तरल परिरक्षक (fluid preservative) क्यों होती है? तरल परिरक्षक कौन कौन से होते हैं? (Preserving liquid for specimens) अल्कोहल परिरक्षक सैकड़ो वर्षों तक मृत शरीर, पौधे या अन्य उतक के नमूनों को कैसे संरक्षित रख सकती है? आइये जानते है:
नमूना संरक्षण तकनीक क्या है – What is Specimen Preservation in Hindi
यदि आप कभी किसी प्रयोगशाला या जैविक संग्रहालय में गए होंगे, तो आपने कांच के जार में एक विशेष तरल में तैरते हुए प्राचीन जीवाश्म या छोटे मृत जीव को जरूरी देखा होगा। अतः किसी भी जैविक नमूनों (जैसे- पौधों या जानवरों, जीवों के अंगों) को भविष्य के संदर्भ और वैज्ञानिक अध्ययन के लिए सर्वोत्तम संभव स्थिति में संरक्षित रखने अर्थात ख़राब होने से बचाने वाली इस तकनीक को नमूना संरक्षण तकनीक (Specimen Preservation) कहा जाता है।
तरल परिरक्षक क्या होते हैं? – Preserving Liquid for Specimens in Hindi
लिक्विड प्रिजर्वेटिव या द्रव परिरक्षक ऐसे रसायन होते हैं, जो जैविक नमूनों और वस्तुओं को ख़राब होने या सड़ने से बचाते हैं। यह biological samples की शेल्फ़ लाइफ को बढ़ा देते हैं और उनके अपघटन की संभावनाओं को कम करते हैं। आमतौर पर अल्कोहल और फॉर्मेलिन (फॉर्मेल्डिहाइड का 40% घोल) का उपयोग प्राचीन काल से तरल परिरक्षक के रूप में हो रहा है, लेकिन ग्लिसरीन, खनिज तेल, ग्लाइकोल और कई अन्य रसायन भी जैविक नमूनों को खराब होने से बचाते हैं।
वैज्ञानिक 1600 के दशक से नमूनों को संरक्षित करने के लिए शराब का उपयोग करते आ रहे हैं। शराब (अल्कोहल) किसी भी नमूने को सैकड़ों वर्षों तक जैसा का तैसा बनाए रख सकता है।
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चीज़ों को सुरक्षित रखने के लिए शराब का उपयोग क्यों किया जाता है? – Why is Alcohol Used to Preserve Things in Hindi
अल्कोहल उन सूक्ष्मजीवों के लिए जहरीला होता है, जो अपघटन या क्षय का कारण बनते हैं। शराब (Alcohol) की परिरक्षण शक्ति को समझने के लिए इसके बनने की विधि को समझना होगा। यह ऐसे बनता है जैसे यीस्ट अंगूर के शर्करा को खाता है और फिर शराब निकालता है। लेकिन यीस्ट इतनी अधिक मात्रा में अल्कोहल उत्सर्जित करता है कि उसकी सांद्रता जहरीली हो जाती है और यीस्ट को ही मार देती है। वैज्ञानकों के अनुसार, लगभग 14% सांद्रता वाली अल्कोहल (शराब), कई वर्षों तक बैक्टीरिया के विकास रोकने में मदद कर सकती है।
अन्य कार्बनिक पदार्थों – जैसे डीएनए, ऊतक या यहां तक कि पूरे जानवर को संरक्षित करने के लिए (या नष्ट होने से बचाने के लिए) उच्च अल्कोहल सांद्रता वाली शराब की आवश्यकता होती है। लम्बे समय तक जीवों के शरीर को सड़ने से बचाने के लिए परिरक्षक के रूप में एथिल अल्कोहल या इथेनॉल का उपयोग किया जाता है।
मृत नमूनों को सुरक्षित रखने की विधि – Methods of Preserving Specimens in Alcohol in Hindi
अधिकांश द्रव-संरक्षित जैविक नमूनों में पहले फॉर्मेलिन (फॉर्मेल्डिहाइड का 40% घोल) इंजेक्ट किया जाता है, जो प्रोटीन को टूटने से रोकता है, और कोशिका सामग्री को अघुलनशील पदार्थों में जमा देता है। जिससे नमूना तरल परिरक्षक में स्थिर रहता है या अपना वास्तविक स्वरुप नहीं खोता है।
उदाहरण के तौर पर एक मछली के नमूने को लम्बे समय तक सुरक्षित रखना है। अतः मृत मछली की आंतरिक जैविक प्रक्रियाओं, जैसे एंजाइमी प्रतिक्रियाओं और ऊतकों के अपघटन को रोकने के लिए, उसमें फॉर्मेलिन (पानी में घुली फॉर्मेल्डिहाइड गैस के घोल) को इंजेक्ट किया जा सकता है। फिर, उस मछली के नमूने को 70% अल्कोहल, 30% पानी के घोल से भरे जार में डुबाकर रखा जा सकता है।
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अल्कोहल परिरक्षक की सांद्रता कितनी होनी चाहिए – Percentage of Ethanol is Used for Preservation in Hindi
लंबी अवधि तक जैविक नमूनों को सुरक्षित रखने के लिए, 70% अल्कोहल सांद्रता वाले तरल का उपयोग किया जाता है। इस घोल में ऊतकों को हाइड्रेटेड रखने के लिए पर्याप्त पानी होता है, जो मृत जीव या अन्य नमूने को अपना आकार बनाए रखने में मदद करता है। इस घोल में उपस्थित अल्कोहल की सांद्रता फफूंद और बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए पर्याप्त होती है।
70% से भी अधिक सांद्रता वाला अल्कोहल (उदाहरण के लिए 95% इथेनॉल वाला घोल), एक डिहाइड्रेशन के रूप में काम करता है, जिसका अर्थ है कि यह संरक्षित किये गए कोशिका, ऊतक या पूरे शरीर के नमूने में से पानी को हटा देता है। पानी की कमी के कारण “जल-संवेदनशील प्रोटीन” में परिवर्तन होता है;या विकृत होकर कठोर हो जाते हैं। अतः अधिक अल्कोहल सांद्रता वाले तरल परिरक्षक में नमूने का आकार ठोस हो जाता है।
यह तय करना मुश्किल हो सकता है कि कितने प्रतिशत अल्कोहल का उपयोग किया जाए। बहुत अधिक या बहुत कम अल्कोहल का उपयोग करने से नमूने का आकार और लचीलापन प्रभावित हो सकता है, या तरल की नमूने को संरक्षित करने की क्षमता भी कम हो सकती है। किसी नमूने को निर्जलित करने के लिए उपयोग की जाने वाली अल्कोहल की उच्च सांद्रता उसे संरक्षित रखेगी। लेकिन यह प्रक्रिया एक नमूने को सिकुड़ा हुआ (पानी की कमी से) और भंगुर (कठोर प्रोटीन से) भी बना सकती है।
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