परागकण क्या होते हैं, परिभाषा, संरचना, कार्य – Pollen Grains in Hindi
शायद आपने कभी न कभी फूलों पर नगण्य पीली धूल तो देखी ही होगी। यही धूल कण परागकण (Pollen Grains) होते हैं, जो बीज देने वाले पौधों की नर संरचनाओं में बनता हैं और विभिन्न माध्यमों (हवा, पानी, कीड़े, आदि) द्वारा मादा संरचनाओं तक पहुंचाए जाते हैं, जहां निषेचन के बाद फल का निर्माण होता है।
- परागकणों को माइक्रोगैमेटोफाइट्स (microgametophytes) भी कहा जाता है।
- परागकण का निर्माण माइक्रोस्पोरोजेनेसिस (microsporogenesis) की प्रक्रिया के माध्यम से होता है।
- परागकणों का कार्य निषेचन (fertilization) और बीज उत्पादन के लिए शुक्राणु कोशिकाओं को मादा प्रजनन अंगों तक पहुंचाना है।
- पैलीनोलॉजी (palynology) जीवविज्ञान की शाखा है, जिसमें मुख्य रूप से पराग और उनके गुणों का अध्ययन किया जाता है।
आज इस आर्टिकल में हम परागकण की परिभाषा (Pollen Grains in Hindi), संरचना, पराग कण का निर्माण और कार्य के बारे में विस्तार से जानेंगे।
परागकण क्या हैं? – What are Pollen Grains in Hindi
पराग कण फूल वाले पौधों के नर प्रजनन अंगों द्वारा निर्मित महीन या मोटे पाउडर जैसी एक सूक्ष्म संरचना है, जिसे परागकोष (anthers) के रूप में जाना जाता है, जिनमें एंड्रोइकियम (androecium), एक फूल का नर प्रजनन अंग होता है। यह फूल वाले पौधों के निषेचन और यौन प्रजनन में सहायता करता है। महीन धूल के रूप में दिखाई देने वाले यह पराग कण पानी, हवा और कीड़ों जैसे विभिन्न माध्यमों से फूल के मादा भाग तक पहुंचाए जाते हैं जहां निषेचन होता है। प्रजाति के आधार पर पराग कण अलग-अलग आकार के होते हैं। परागकणों के वैज्ञानिक अध्ययन को पलीनोलॉजी (palynology) के नाम से जाना जाता है।
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पराग कण की संरचना – Structure of Pollen Grain in Hindi
परागकण की सूक्ष्म संरचना अपने आकार और बनावट में भिन्न होती है। अधिकतर परागकण गोलाकार होते हैं और इनका व्यास लगभग 25-50 माइक्रोमीटर होता है। इसकी दो परत वाली दीवारें होती हैं।
- कठोर बाहरी परत स्पोरोपोलेनिन (sporopollenin) से बनी होती है, जिसे एक्साइन (exine) कहा जाता है। यह परागण के दौरान गैमेटोफाइट (gametophyte) की रक्षा करता है। एक्साइन परत में एक प्रमुख छिद्र होता है जिसे रोगाणु छिद्र (germ pore) कहा जाता है, जिसके माध्यम से अंकुरण के दौरान पराग नलिका निकलती है।
- पराग कण की आंतरिक, कम कठोर परत इन्टिन (intine) होती है, जो सेल्युलोज और पेक्टिन (pectin) से बनी होती है।
परागकण के केंद्र में एक साइटोप्लाज्म (कोशिका द्रव्य) होता है, जो प्लाज्मा झिल्ली से घिरा होता है। झड़ते समय या ट्रान्सफर के समय, परागकणों में दो कोशिकाएँ (एक वनस्पति कोशिका और एक जनन कोशिका) या तीन कोशिकाएँ (एक वनस्पति कोशिका और दो नर युग्मक (male gametes)) हो सकती हैं। वनस्पति कोशिका (vegetative cell) में जनन कोशिकाओं (generative cell) की तुलना में एक बड़ा अनियमित आकार का केन्द्रक होता है। जनन कोशिका स्पिंडल के आकार (spindle-shaped) की होती है, जिसमें सघन कोशिका द्रव्य और एक केन्द्रक पाया जाता है। जनन कोशिका एक वनस्पति कोशिका के कोशिका द्रव्य (cytoplasm) में तैरती है।
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पराग कण का निर्माण – Formation of Pollen Grain in Hindi
परागकणों का निर्माण माइक्रोस्पोरोजेनेसिस (microsporogenesis) नामक प्रक्रिया के माध्यम से होता है। जिम्नोस्पर्म (gymnosperm) में पराग कण नर शंकु (male cone) के माइक्रोस्पोरंगिया (microsporangia) में बनते हैं। जबकि एंजियोस्पर्म (angiosperm) में यह फूल वाले पौधों के परागकोष (anthers) में उत्पन्न होते हैं।
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परागकण के कार्य – Function of Pollen Grains in Hindi
- पराग कण में नर युग्मक (male gametes) या शुक्राणु कोशिकाएं होती हैं और यह पौधों के प्रजनन चक्र में एक महत्वपूर्ण कड़ी बनाते हैं।
- परागकण जिम्नोस्पर्म (नर शंकु पैदा करने वाले पौधों) और एंजियोस्पर्म (फूल पैदा करने वाले पौधों) दोनों में प्रजनन के लिए आवश्यक है।
- यह अंडे के निषेचन के लिए नर युग्मकों (male gametes) को भ्रूण की थैली (embryonic sac) में बीजांड (ovule) में स्थानांतरित करता है, जो बीज में विकसित होता है।
- पौधों की आनुवंशिक विविधता (genetic diversity) बनाए रखने में मदद करता है।
- परागकण पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। पराग गोलियों का उपयोग food supplements के रूप में किया जाता है।
परागकणों के प्रकार – Types of Pollen Grains in Hindi
परागकणों को shape, साइज़, और सतह की बनावट के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
- आकृति के आधार पर – पराग कण अधिकतर अंडाकार, गोलाकार, त्रिकोणीय या डिस्क के आकार के होते हैं।
- साइज के आधार पर – परागकणों का आकार 6 माइक्रोमीटर से लेकर 100 माइक्रोमीटर व्यास तक होता है। अधिकांश पराग कण 10- 70 माइक्रोमीटर के होते हैं।
इसके अलावा परागकणों के प्रकार निम्न हैं:
- मोनोकोल्पेट (monocolpate), जिसकी बाहरी परत में एक ही खाँचा (furrow) या छिद्र (pore) होता है, और
- ट्राईकोल्पेट (tricolpate), जिसकी तीन खाँचे या छिद्र (pore) होते हैं।
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पराग कण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न – FAQs on Pollen Grain in Hindi
1. पराग कण को परिभाषित करें – What is the Definition of Pollen Grain in Hindi
उत्तर: परागकण फूल वाले पौधों द्वारा निर्मित एक सूक्ष्म, नर प्रजनन संरचना है। इसमें निषेचन के लिए आवश्यक नर युग्मक (male gametes) होते हैं, जिसे पौधों के प्रजनन के लिए मादा प्रजनन भाग तक पहुँचाया जाता है।
2. पराग कण की संरचना क्या है? – What is The Structure of Pollen Grain in Hindi
उत्तर: परागकण में एक कठोर बाहरी परत एक्साइन होती है, जो स्पोरोपोलेनिन (sporopollenin) से बनी होती है। यह नर युग्मकों की रक्षा करती है। परागकण के आंतरिक भाग में नर प्रजनन कोशिकाएँ होती हैं।
3. परागकण का कार्य क्या है? – What is The Function of Pollen Grain in Hindi
उत्तर: पराग का कार्य फूल वाले पौधे के नर प्रजनन अंगों से नर युग्मकों (शुक्राणु कोशिकाओं) को मादा प्रजनन अंगों तक पहुंचाना है, जिससे निषेचन संभव हो सके।
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4. परागकणों के प्रकार क्या हैं? – What are The Type of Pollen Grains in Hindi
उत्तर: परागकणों को दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:
- मोनोकोल्पेट (monocolpate), जिसकी बाहरी परत में एक ही खाँचा (furrow) या छिद्र (pore) होता है, और
- ट्राईकोल्पेट (tricolpate), जिसमें तीन खाँचे (furrow) या छिद्र (pore) होते हैं।
5. परागकण का अध्ययन क्या कहलाता है? – What is the Study of Pollen Grains in Hindi
उत्तर: पराग और बीजाणुओं के अध्ययन को पैलिनोलॉजी कहा जाता है।
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