बैटरी के प्रकार: प्राइमरी बैटरी और सेकेंडरी बैटरी – Types of Batteries in Hindi

बैटरी के प्रकार: प्राइमरी बैटरी और सेकेंडरी बैटरी – Types of Battery in Hindi

बैटरी के बारे में कौन नहीं जानता। मोबाइल, घड़ी, लैपटॉप, कार से लेकर अनेक दैनिक घरेलू उपकरणों में बैटरियों का उपयोग किया जाता है। कुछ बैटरियों को बार-बार चार्ज कर लम्बे समय तक उपयोग में लाया जा सकता है, जबकि कुछ बैटरियां एक बार डिस्चार्ज होने के बाद उपयोगी नहीं होती है, वहीं दूसरी ओर कुछ बैटरियां बड़ी तो कुछ बहुत छोटी होती हैं। यह सब बैटरी के प्रकार पर निर्भर करता है। वर्तमान समय में अनेक तरह की बैटरियां मौजूद हैं, जिनके बारे में इस लेख में विस्तार से बताया गया है। आइये जानते हैं, बैटरियां कितने प्रकार की होती हैं? प्राइमरी और सेकेंडरी बैटरी के प्रकार, संरचना और उनके उपयोग के बारे में।

बैटरी क्या होती हैं – What are Batteries in Hindi

बैटरियां एक या अधिक इलेक्ट्रोकेमिकल सेल से बनी होती हैं, जो रासायनिक ऊर्जा को बाद में विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर स्टोर करके रखती हैं। हालाँकि इलेक्ट्रोकेमिकल सेल विभिन्न प्रकार के होते हैं। अधिकतर बैटरियां आमतौर पर कम से कम एक वोल्टाइक सेल से बनी होती हैं। क्योंकि वोल्टाइक सेल के भीतर सहज तरीके से केमिकल रिएक्शन और विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होता है। वोल्टाइक सेल को कभी-कभी गैल्वेनिक सेल के रूप में भी जाना जाता है।

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बैटरी के प्रकार – Types of Battery in Hindi

बैटरियों के प्रकार – Types of Batteries in Hindi

बैटरियों को दो सामान्य समूहों में विभाजित किया गया है:

(1) प्राथमिक बैटरियां (primary batteries) और

(2) द्वितीयक या भंडारण बैटरियां (secondary or storage batteries)।

प्राथमिक बैटरियां – Primary Batteries in Hindi

प्राथमिक बैटरियों को तब तक उपयोग में लाया जाता है, जब तक कि किसी उपकरण को संचालित करने के लिए वोल्टेज बहुत कम न हो जाए। एक बार पूरी तरह से डिस्चार्ज हो जाने पर प्राथमिक बैटरियों को रिचार्ज नहीं किया जा सकता है। यह बैटरियां नॉन-रिचार्जेबल और डिस्पोजेबल होती हैं। इन बैटरियों में इलेक्ट्रोकेमिकल रिएक्शन नॉन रिवर्सिबल (non-reversible) होती हैं। प्राथमिक बैटरियां करंट को लंबे समय तक स्टोर करके रखती हैं और इनकी डिस्चार्ज रेट द्वितीयक बैटरियों की तुलना में बहुत कम होती है। रेडियो, फ्लैशलाइट, डिजिटल कैमरे, खिलौने और अधिकांश रिमोट कंट्रोल डिवाइस में प्राथमिक बैटरियों का उपयोग किया जाता है।

प्राइमरी बैटरी के प्रकार में शामिल हैं:

  • जिंक-कार्बन बैटरी या लेक्लांशी सेल (Leclanché cel) – यह सबसे कम खर्चीला ड्राई सेल है और लगभग हर जगह उपलब्ध है।
  • जिंक क्लोराइड बैटरी और
  • क्षारीय बैटरी (Alkaline batteries) जैसे- जिंक-मैंगनीज डाइऑक्साइड बैटरी, जिंक-सिल्वर ऑक्साइड बैटरी और जिंक-एयर बैटरी।

यह सभी बैटरियों का प्रारंभिक वोल्टेज 1.55 से 1.7 वोल्ट तक होता है, जो उपयोग के साथ घटते हुए लगभग 0.8 वोल्ट के अंतिम बिंदु तक पहुँचता है।

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द्वितीयक बैटरियां – Secondary Batteries in Hindi

सेकेंडरी बैटरियां रिचार्जेबल (rechargeable) होती हैं। इन बैटरियों में इलेक्ट्रोकेमिकल रिएक्शन रिवर्सिबल (reversible) होती हैं, क्योंकि रिएक्शन करने वाले घटक पूरी तरह से उपयोग नहीं किए जाते हैं। आंशिक या पूर्ण डिस्चार्ज होने के बाद, उन्हें डायरेक्ट करंट (डीसी) वोल्टेज के द्वारा पुनः रिचार्ज किया जा सकता है। द्वितीयक बैटरियों का उपयोग कार बैटरियों के रूप में, मोबाइल और पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है।

रिचार्जेबल स्टोरेज बैटरी या द्वितीयक बैटरी के प्रकार में निम्न शामिल हैं:

  • लेड-एसिड बैटरी (Lead-acid batteries) – यह बैटरियां काफी भारी होती हैं, इनमें इलेक्ट्रोड सल्फ्यूरिक एसिड इलेक्ट्रोलाइट्स में डूबे होते हैं।
  • क्षारीय भंडारण बैटरियां (Alkaline storage batteries) जैसे- निकेल-कैडमियम बैटरी, निकेल-जिंक बैटरियां, निकेल-आयरन बैटरियां
  • लिथियम आयन बैटरी (Lithium ion batteries) – इस बैटरी में लिथियम आयन नकारात्मक इलेक्ट्रोड (cathode) से सकारात्मक इलेक्ट्रोड (anode) की ओर चलते हैं और जब हम इसे चार्ज करते हैं, तो लिथियम आयन वापस एनोड से कैथोड की ओर चले जाते हैं।

नोट: लेड-एसिड बैटरी की क्षमता निकेल-कैडमियम या निकेल-आयरन रिचार्जेबल क्षारीय बैटरी की तुलना में 20 गुना अधिक होती है।

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बैटरी सेल के प्रकार – Battery Cell Types in Hindi

बैटरी सेल के प्रकार – Battery Cell Types in Hindi

एक “बैटरी” में श्रृंखला या समानांतर क्रम में जुड़े एक या एक से अधिक सेल होते हैं। बैटरी सेल मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते हैं:

1. वेट सेल – Wet Cells in Hindi

वेट सेल बैटरियों में एक लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट होता है। यह या तो प्राथमिक या द्वितीयक बैटरी सेल हो सकते हैं। इस प्रकार के सेल की तरल प्रकृति के कारण, एनोड और कैथोड को अलग रखने के लिए इंसुलेटर शीट का उपयोग किया जाता है। वेट सेल के प्रकारों में निम्न शामिल हैं:

  • डेनियल सेल (Daniell cells)
  • बुन्सेन सेल (Bunsen cells)
  • वेस्टन सेल (Weston cells)
  • क्रोमिक एसिड सेल (Chromic acid cells)
  • ग्रोव सेल (Grove cells)
  • रिचार्जेबल लेड-एसिड सेल (lead-acid cells)।

2. शुष्क सेल – Dry Cells in Hindi

शुष्क सेल बैटरियों में लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट (liquid electrolyte) के स्थान पर इलेक्ट्रोलाइट का एक पेस्ट होता है। ड्राई सेल बैटरी की सामग्री किसी भी स्थिति में स्थिर रहती है और करंट प्रवाह करती है। यही कारण है कि ड्राई सेल बैटरियों का उपयोग आमतौर पर पोर्टेबल उत्पादों में किया जाता है। ड्राई सेल बैटरियां प्राथमिक या द्वितीयक बैटरियां हो सकती हैं। सबसे आम ड्राई सेल बैटरी लेक्लांश सेल (Leclanche cell) है।

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बैटरी की क्षमता – Capacity of a Battery in Hindi

बैटरी की क्षमता सीधे सेल के अंदर इलेक्ट्रोड और इलेक्ट्रोलाइट सामग्री की मात्रा पर निर्भर करती है। प्राथमिक बैटरियां हर एक वर्ष के दौरान बिना किसी उपयोग के लगभग 8% से 20% तक चार्ज खो सकती हैं। बैटरियों में चार्ज खोने या स्वतः डिस्चार्ज होने की यह प्रकृति, उनकी पार्श्व रासायनिक प्रतिक्रियाओं (side chemical reactions) के कारण होती है। गर्म तापमान में पार्श्व रासायनिक प्रतिक्रियाओं की दर बढ़ जाती है और बैटरी की क्षमता कम हो जाती है। अतः तापमान को कम करके पार्श्व प्रतिक्रियाओं की दर को धीमा कर सकते हैं।

सेकेंडरी बैटरियां और भी तेजी से स्वतः डिस्चार्ज (self-discharge) होती हैं। आमतौर हर महीने इनकी क्षमता लगभग 10% तक कम हो जाती है। प्रत्येक रिचार्ज चक्र के बाद रिचार्जेबल बैटरियां धीरे-धीरे अपनी क्षमता खोती जाती हैं।

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