बैटरी क्या है, काम कैसे करती हैं, संरचना, सिद्धांत – Battery Working Principle: How Does a Battery Work in Hindi
आज के समय बैटरी का प्रयोग बड़े स्तर पर किया जा रहा है। अधिकांश चीजों को चलाने के लिए बैटरी को उपयोग में लाया जाता है। क्या आपने कभी इस पर विचार किया है, कि यह बैटरियां बनती कैसे होंगी और शायद यह जानने के लिए आपने कभी न कभी इन्हें तोड़कर भी देखा होगा। आमतौर पर बैटरी के अन्दर कई तरह की चीजें होती हैं, जिनसे इन्हें बनाया जाता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि बैटरी क्या होती हैं और कैसे बनती है? तो आइये जानते हैं बैटरी का इतिहास, संरचना, सिद्धांत और यह बैटरियां काम कैसे करती हैं? Battery Work in Hindi के बारे में।
बैटरी का इतिहास – History of Batteries Timeline in Hindi
- 1749 में बिजली पर प्रयोग करते समय बेंजामिन फ्रैंकलिन ने सबसे पहले कैपेसिटर की एक श्रृंखला का वर्णन करने के लिए “बैटरी” शब्द का प्रयोग किया था।
- 1800 में एलेसेंड्रो वोल्टा (Alessandro Volta) ने पहली वास्तविक बैटरी वोल्टाइक पाइल बनाई।
- 1836 में, जॉन फ्रेडरिक डेनियल ने वोल्टाइक पाइल की कुछ समस्याओं पर शोध कार्य करते हुए डेनियल सेल का निर्माण किया।
- इसके बाद 1844 में विलियम रॉबर्ट ग्रोव द्वारा ग्रोव सेल (Grove cell) का आविष्कार किया गया।
- 1859 में गैस्टन प्लांटे (Gaston Plante) ने सल्फ्यूरिक एसिड में डूबी हुई लेड की 2 रोल्ड सीटों का उपयोग करके पहली रिचार्जेबल लेड-एसिड बैटरी बनाई।
- 1866 में जॉर्जेस लेक्लांश द्वारा लेक्लांशी सेल (Leclanche cell) का आविष्कार किया गया।
- 1866 तक की सभी बैटरियां वेट सेल की बनी थीं। फिर 1887 में कार्ल गैस्नर (Carl Gassner) ने जिंक-कार्बन सेल से बनी पहली ड्राई सेल बैटरी (dry cell battery) बनाई थी।
- 1899 में वाल्डमार जुंगनर (Waldmar Jungner) द्वारा निकल-आयरन और निकल-कैडमियम बैटरी पेश की गई थी। लेकिन वह निकल-आयरन बैटरी का पेटेंट कराने में विफल रहे और 1903 में, थॉमस एडिसन (Thomas Edison) ने थोड़े संशोधन के साथ निकल-आयरन बैटरी की डिज़ाइन का पेटेंट अपने नाम कराया।
- बैटरी के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता 1955 में मिली, जब लुईस उर्री (Lewis Urry) ने लम्बे समय तक चलने वाली क्षारीय बैटरी (alkaline battery) बनाई थी।
- 1970 के दशक में निकल हाइड्रोजन बैटरी (nickel hydrogen battery) और 1980 में निकल धातु-हाइड्राइड बैटरी (nickel metal-hydride battery) का जन्म हुआ।
(यह भी पढ़ें: रासायनिक यौगिकों के नाम और केमिकल फार्मूला…)
बैटरी बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली चीजें – Things Used in Making Batteries in Hindi
बैटरियां तीन मुख्य घटकों से बनी होती हैं:
- एक एनोड (anode) या नेगेटिव प्लेट
- एक कैथोड (cathode) या पॉजिटिव प्लेट और
- एक इलेक्ट्रोलाइट।
एनोड और कैथोड दोनों इलेक्ट्रोड के प्रकार हैं, जो कंडक्टर होते हैं।
एनोड (Anode)
सेल डिस्चार्ज के दौरान जिस इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण प्रक्रिया होती है, उसे एनोड कहते हैं। किसी सर्किट में एनोड से इलेक्ट्रॉन बाहर निकलते हैं। बैटरी में, एनोड और इलेक्ट्रोलाइट के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप एनोड में इलेक्ट्रॉनों का निर्माण होता है। इस बजह से एनोड को नेगेटिव (-) टर्मिनल के रूप में दर्शाया जाता है।
कैथोड (Cathode)
जिस इलेक्ट्रोड पर अपचयन होता है, उसे कैथोड टर्मिनल कहते हैं। बैटरियों पर, कैथोड को पॉजिटिव (+) टर्मिनल के रूप में दर्शाया जाता है। इलेक्ट्रॉन केवल बैटरी के बाहरी सर्किट के माध्यम से एनोड से कैथोड तक पहुंचते हैं।
इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte)
इलेक्ट्रोलाइट वह पदार्थ है, जो आमतौर पर एक तरल या जेल के रूप में होता है, यह लवण, अम्ल या क्षार हो सकता है। यह एनोड और कैथोड पर होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाओं के बीच आयनों का आदान-प्रदान करता है। इसके अलावा यह एनोड और कैथोड के बीच इलेक्ट्रॉन अधिगमन या इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह को भी रोकता है, ताकि सेल या बैटरी में इलेक्ट्रॉन (e-) इलेक्ट्रोलाइट के बजाय बाहरी सर्किट से प्रवाहित हो सकें।
(यह भी पढ़ें: सल्फ्यूरिक अम्ल बनाने की विधि, गुण और उपयोग…)
सेपरेटर (Separator)
सेपरेटर या विभाजक वह छिद्रपूर्ण पदार्थ होते हैं, जो एनोड और कैथोड को आपस में मिलने से रोकते हैं। विभाजक (Separator) विभिन्न प्रकार की सामग्रियों जैसे- कपास, नायलॉन, पॉलिएस्टर, कार्डबोर्ड और सिंथेटिक पॉलिमर फिल्मों के बनाए जा सकते हैं। सेपरेटर या विभाजक एनोड, कैथोड या इलेक्ट्रोलाइट के साथ केमिकल रिएक्शन नहीं करते हैं, जिससे बैटरी में शॉर्ट सर्किट नहीं होता है।
बैटरी की संरचना – Structure of Battery in Hindi
सामान्यतः बैटरी के अन्दर, इलेक्ट्रोड अक्सर एक इलेक्ट्रोलाइट में डूबे हुए रहते हैं। अलग-अलग कार्य जैसे रोशनी, मशीनों या अन्य उपकरणों के संचालन के लिए उस विशेष इलेक्ट्रोड सामग्री और इलेक्ट्रोलाइट को चुना जाता है, जो बैटरी के टर्मिनलों के बीच पर्याप्त इलेक्ट्रोमोटिव बल (electromotive force) और विद्युत करंट (electric current) उत्पन्न कर सके।
बैटरी के मुख्य सक्रीय घटक जैसे इलेक्ट्रोड और इलेक्ट्रोलाइट आमतौर पर एक कवर सिस्टम (या जैकेट) के साथ एक बॉक्स में बंद होते हैं। यह कवर हवा को अन्दर जाने से रोकता है और बैटरी को एक आकर प्रदान करता है। किसी दिए गए आकार की एक विशेष बैटरी में उपकरणों को संचालित करने की केवल एक निश्चित क्षमता होती है और अंततः यह क्षमता समाप्त हो जाती है।
(यह भी पढ़ें: बैटरी के प्रकार: प्राइमरी बैटरी और सेकेंडरी बैटरी…)
बैटरी का कार्य सिद्धांत – Battery Working Principle in Hindi
एक बैटरी, धातुओं (इलेक्ट्रोड) के साथ इलेक्ट्रोलाइट के ऑक्सीकरण और अपचयन क्रियाओं पर काम करती है। जब दो भिन्न धातु पदार्थ अर्थात इलेक्ट्रोड को किसी इलेक्ट्रोलाइट में रखा जाता है, तो धातु की इलेक्ट्रॉन बंधुता के आधार पर इलेक्ट्रोड में क्रमशः ऑक्सीकरण और अपचयन क्रियाएं होती है। ऑक्सीकरण के परिणामस्वरूप एक इलेक्ट्रोड ऋणात्मक (-) रूप से चार्ज हो जाता है और अपचयन के कारण, दूसरा इलेक्ट्रोड धनात्मक (+) रूप से चार्ज हो जाता है।
यदि दो अलग-अलग प्रकार के इलेक्ट्रोड को एक ही इलेक्ट्रोलाइट में रखा जाए, तो उनमें से एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करेगा और दूसरा इलेक्ट्रॉन छोड़ेगा। परिणामस्वरूप, दोनों इलेक्ट्रोडों के मध्य इलेक्ट्रॉन सांद्रता में अंतर होगा। जिससे बैटरी में विभवान्तर या EMF उत्पन्न होता है। यह बैटरी का एक सामान्य सिद्धांत है और बैटरी इसी सिद्धांत पर काम करती है।
बैटरी काम कैसे करती हैं – How Does a Battery Work in Hindi
सेलों का समूह जब एकत्रित होकर कार्य करता है, तब उसे बैटरी कहा जाता है। सेलों के अंदर होने वाली केमिकल रिएक्शन या रेडॉक्स अभिक्रियाओं के माध्यम से बैटरी में विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती है। बाह्य परिपथ में एनोड से इलेक्ट्रॉन कैथोड की ओर प्रवाहित होते हैं। और एक इलेक्ट्रोड से दूसरे इलेक्ट्रोड में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के कारण ही विद्युत धारा उत्पन्न होती है।
नोट: विद्युत धारा की दिशा, इलेक्ट्रॉन प्रवाह की दिशा के विपरीत होती हैं।
एनोड ऑक्सीकरण – Oxidation on Anode in Battery in Hindi
रेडॉक्स अभिक्रिया का यह पहला भाग ऑक्सीकरण है, जो एनोड और इलेक्ट्रोलाइट के बीच होता है। इस अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉनों (e-) का उत्पादन होता है। हालाँकि कुछ ऑक्सीकरण अभिक्रियाएँ आयन उत्पन्न भी करती हैं, जैसे लिथियम-आयन बैटरी में।
कैथोड अपचयन – Reduction on Cathode in Battery in Hindi
रेडॉक्स अभिक्रिया का दूसरा भाग अपचयन है, जो कैथोड पर होता है। ऑक्सीकरण अभिक्रिया से उत्पन्न इलेक्ट्रॉनों को अपचयन के दौरान ग्रहण किया जाता है। लिथियम-आयन बैटरी में ऑक्सीकरण के दौरान उत्पन्न धनात्मक चार्ज लिथियम आयन अपचयन के दौरान ग्रहण किये जाते हैं।
इलेक्ट्रॉन प्रवाह – Electron Flow in Battery in Hindi
अधिकांश बैटरियों में, यह रासायनिक अभिक्रियाएँ पूरी ताकत से तभी होंगी, जब एनोड और कैथोड आपस में सर्किट से कनेक्ट हो जाएंगे। एनोड और कैथोड के बीच जितना कम प्रतिरोध होगा, उतने ही अधिक इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होंगे, और रासायनिक प्रतिक्रियाएं उतनी ही तेजी से होंगी।
(यह भी पढ़ें: सेंधा नमक और एप्सम साल्ट के बीच अंतर…)
बैटरी से निकलने वाला करंट क्या है? – What type of current does a battery produce in Hindi
करंट दो प्रकार का होता है: डायरेक्ट करंट (DC) और प्रत्यावर्ती करंट (AC)। बैटरियों के माध्यम से जो करंट उत्पन्न होता है वह डायरेक्ट करंट होता है। हमारे घर में बिजली की लाइन से जो करंट आता है, वह प्रत्यावर्ती करंट (Alternating current) होता है, जबकि बैटरी में डायरेक्ट करंट होता है।
Post Comment