विटामिन D के प्रकार, स्रोत, कमी से होने वाले रोग – Vitamin D Facts, Sources, Deficiency Disease in Hindi

विटामिन D के प्रकार, स्रोत, कमी से होने वाले रोग, और फायदे - Vitamin D Facts, Sources, Deficiency Disease in Hindi

विटामिन D के प्रकार, स्रोत, कमी से होने वाले रोग – Vitamin D Facts, Sources, Deficiency Disease in Hindi

आज के इस लेख में आप विटामिन D से जुड़े रोचक तथ्य, विटामिन डी के प्रकार, स्रोत, फायदे और कमी से होने वाले रोग के बारे में जानेंगे। विटामिन डी को स्टेरॉयड हार्मोन (steroid hormones) के एक वर्ग में रखा जाता है, जो वसा में घुलनशील है और शरीर के लिए अत्यंत ही आवश्यक है। यह विटामिन हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सही तरीके से काम करने, कोशिकाओं के विकास को नियंत्रित करने एवं हड्डियों को स्वस्थ रखने में शरीर की मदद करता है। विटामिन डी शरीर की त्वचा पर लालिमा और सूजन आने से भी रोकता है। विटामिन D की और अधिक जानकारी के लिए लेख पूरा पढ़ें।

विटामिन D से जुड़े रोचक तथ्य – Fun Facts About Vitamin D in Hindi

विटामिन D से जुड़े रोचक तथ्य - Fun Facts About Vitamin D in Hindi

  • विटामिन D क्या है – विटामिन डी (जिसे “कैल्सीफेरॉल” भी कहा जाता है) एक वसा में घुलनशील विटामिन है, जो प्राकृतिक रूप से कुछ खाद्य पदार्थों में मौजूद होता है, और आहार सप्लीमेंट (dietary supplement) के रूप में उपलब्ध होता है। जब सूर्य प्रकाश की किरणें त्वचा से टकराती हैं, तो विटामिन डी के संश्लेषण की गति बढ़ जाती है।
  • सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में शरीर द्वारा उत्पादन होने के कारण इस विटामिन को “सनशाइन विटामिन” के नाम से भी जाना जाता है।
  • कुछ प्रकार के मशरूम, जैसे पोर्टोबेलो (portobello), यूवी प्रकाश के संपर्क में आने पर विटामिन डी का उत्पादन कर सकते हैं।
  • सूर्य प्रकाश के संपर्क, खाद्य पदार्थों और सप्लीमेंट आहार से प्राप्त विटामिन डी जैविक रूप से निष्क्रिय होता है और इसे सक्रिय करने के लिए शरीर में दो हाइड्रॉक्सिलेशन (two hydroxylations) प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है।
  1. पहला – पहला हाइड्रॉक्सिलेशन लीवर में होता है, जिसमें विटामिन डी को 25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी [25(OH)D] में परिवर्तित किया जाता है। विटामिन डी के इस रूप को “कैल्सीडियोल” भी कहा जाता है। लीवर (यकृत) द्वारा त्वचा या भोजन से प्राप्त होने वाले विटामिन डी को 25-हाइड्रॉक्सीविटामिन डी के रूप में ही भंडारण करके रखा जाता है।
  2. दूसरा – दूसरा हाइड्रॉक्सिलेशन मुख्य रूप से किडनी में होता है और सक्रिय 1,25-डायहाइड्रॉक्सी विटामिन डी [1,25(OH)2D] बनाता है। विटामिन डी के इस सक्रीय रूप को “कैल्सीट्रियोल” भी कहा जाता है।
  • मानव शरीर विटामिन D को अधिक समय तक स्टोर करके नहीं रख पाता है। अतः प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन एक निश्चित मात्रा में विटामिन D के सेवन पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
  • विटामिन डी वास्तव में एक हार्मोन है, विटामिन नहीं, क्योंकि यह शरीर द्वारा बनाया जाता है तथा अन्य हार्मोन और शारीरिक कार्यों पर प्रभाव डालता है।

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विटामिन डी के प्रकार Types of Vitamin D in Hindi

विटामिन डी के प्रकार - Vitamin D Types in Hindi

मानव रक्त में विटामिन D, 25-हाइड्रोक्सी विटामिन डी और 1, 25- डायहाइड्रॉक्सी विटामिन डी के रूप में पाया जा सकता है। खाद्य पदार्थों और सप्लीमेंट में, विटामिन डी के दो मुख्य रूप हैं, D2 (ergocalciferol) और D3 (cholecalciferol)। दोनों रूप छोटी आंत में अच्छी तरह अवशोषित होते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण विटामिन D के प्रकार निम्न हैं:

  1. विटामिन डी 3 (cholecalciferol) विटामिन डी3, जिसे कॉलेकैल्सिफेरॉल (cholecalciferol) के रूप में भी जाना जाता है, यह विटामिन डी का प्राकृतिक रूप है, जिसका निर्माण शरीर द्वारा धूप के अवशोषण के दौरान किया जाता है।
  2. विटामिन डी 2 (ergocalciferol) – विटामिन डी 2, जिसे एर्गोकैल्सिफेरॉल (ergocalciferol) के रूप में भी जाना जाता है, यह स्वाभाविक रूप से शरीर द्वारा नहीं बनाया जाता है, अर्थात यह विटामिन डी का प्राकृतिक रूप नहीं है। यह कवक को विकिरित (irradiated) कर प्राप्त किया जाता है।

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विटामिन D के स्रोत – Vitamin D Sources in Hindi

सूर्य प्रकाश को विटामिन D का एक उत्तम स्रोत माना जाता है, लेकिन केवल सूर्य प्रकाश के माध्यम से शरीर के लिए पर्याप्त विटामिन डी प्राप्त कर पाना संभव नहीं है। अतः कोई भी व्यक्ति सूर्य प्रकाश के आलावा विटामिन D का पर्याप्त सेवन करने के लिए विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • अंडे
  • दूध
  • दही
  • मशरूम
  • झींगा, सैल्मन मछली
  • कॉड लिवर ऑइल
  • संतरे का रस
  • अनाज, इत्यादि।

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विटामिन डी क्यों जरूरी है – Why is Vitamin D Important in Hindi

विटामिन डी क्यों जरूरी है - Why is Vitamin D Important in Hindi

  • विटामिन डी आंत में कैल्शियम अवशोषण को बढ़ावा देता है और मांसपेशियों के अनैच्छिक संकुचन, (ऐंठन) को रोकने के लिए रक्त (सीरम) में पर्याप्त कैल्शियम और फॉस्फेट की सांद्रता बनाए रखता है।
  • ऑस्टियोब्लास्ट और ऑस्टियोक्लास्ट (osteoblasts and osteoclasts) द्वारा हड्डी के विकास और हड्डी के पुनर्निर्माण के लिए भी विटामिन D की आवश्यकता होती है।
  • पर्याप्त विटामिन डी के बिना, हड्डियाँ पतली, भंगुर या बेडौल हो सकती हैं।
  • विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा बच्चों में रिकेट्स (rickets) और वयस्कों में ऑस्टियोमलेशिया (osteomalacia) को रोकती है। विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण में वृद्ध कर वयस्कों को ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) से बचाने में भी मदद करता है।
  • हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मल्टीपल स्केलेरोसिस, कैंसर, टाइप 1 मधुमेह जैसी अनेक बीमारियों से शरीर को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त विटामिन डी का मिलना जरूरी हो जाता है।
  • कोशिका प्रसार, कोशिका विभेदन (differentiation) और एपोप्टोसिस (apoptosis) को नियंत्रित करने वाले प्रोटीन को एन्कोड करने वाले कई जीन आंशिक रूप से विटामिन डी द्वारा नियंत्रित होते हैं।

विटामिन D के फायदे – Vitamin D Benefits in Hindi

शरीर के लिए विटामिन डी अनेक तरह से फायदेमंद होता है। विटामिन D के फायदे कुछ इस तरह हैं:

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विटामिन D की कमी से होने वाले रोग Disease Caused by Lack of Vitamin D in Hindi

शरीर में विटामिन डी की कमी अनेक प्रकार के रोग और बीमारी उत्पन्न कर सकती है। विटामिन D की कमी से होने वाले रोग में शामिल हैं:

  • रिकेट्स( rickets)
  • ऑस्टियोमलेशिया (osteomalacia)
  • हड्डियों की कमजोरी या ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis)
  • अवसाद (depression)
  • अल्जाइमर रोग
  • दिल के दौरे
  • बच्चों में अस्थमा
  • प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia), इत्यादि।

विटामिन डी टेस्ट – Vitamin D Test in Hindi

विटामिन डी टेस्ट एक ब्लड टेस्ट है, जो आपके रक्तप्रवाह में विटामिन डी की मात्रा को मापता है। यहां कुछ नाम दिए गए हैं, जो आमतौर पर विटामिन डी टेस्ट के संदर्भ में उपयोग किए जाते हैं:

  • 25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी टेस्ट (25(OH)D)
  • सीरम विटामिन डी टेस्ट
  • कैल्सीडियोल टेस्ट
  • 25-ओएच-डी 3 टेस्ट (25-OH-D3 test)
  • 5-हाइड्रॉक्सीकोलेकल्सीफेरोल टेस्ट

रक्त में विटामिन डी का सामान्य स्तर – Normal Level of Vitamin D in Blood Test in Hindi

परीक्षण द्वारा प्राप्त विटामिन डी के स्तर की नॉर्मल रेंज 20-50 ng/mL  या 50-125 nmol/L होती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि परीक्षण करने वाली प्रयोगशाला के आधार पर सामान्य सीमा थोड़ी भिन्न हो सकती है। इसके अलावा आपकी उम्र, चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर  विटामिन डी का सामान्य स्तर कम या ज्यादा हो सकता है।

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विटामिन D का दैनिक सेवन – Vitamin d Dosage in Hindi

विटामिन डी की एक निश्चित मात्रा मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरुरी होती है। विटामिन डी का 1 माइक्रोग्राम विटामिन डी के 40 आईयू (IU) के बराबर है। एक पूर्ण स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रतिदिन विटामिन डी की जरूरत निम्न प्रकार है:

  • 0 से 12 महीने तक के शिशु के लिए – 400 आईयू (10 माइक्रोग्राम)
  • 1-18 साल के बच्चे के लिए – 600 आईयू (15 माइक्रोग्राम)
  • 70 साल तक के वयस्क के लिए – 600 आईयू (15 माइक्रोग्राम)
  • 70 से अधिक उम्र के लिए – 800 आईयू (20 माइक्रोग्राम)
  • गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिला के लिए – 600 आईयू (15 माइक्रोग्राम)

हालाँकि सूर्य प्रकाश और विशेष आहार से विटामिन डी शरीर को मिल जाता है, अतः यदि आप सप्लीमेंट के रूप में विटामिन डी का सेवन करना चाहते हैं, तो पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

विटामिन D के नुकसान Vitamin D Side Effects in Hindi

चूँकि एक निश्चित मात्रा में ही शरीर को विटामिन डी की आवश्यकता होती है, इसलिए जरुरत से ज्यादा विटामिन डी लेने से अनेक प्रकार के साइड इफ़ेक्ट देखने को मिल सकते हैं। डॉक्टर की सलाह लिए बगैर विटामिन डी सप्लीमेंट का अधिक सेवन त्वचा सम्बन्धी एलर्जी प्रतिक्रिया का कारण बन सकता है।

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