अल नीनो और ला नीना के बीच अंतर और मौसम पर प्रभाव – What is El Nino and La Nina in Hindi

मौसम संबंधी सूचनाओं और ख़बरों में आपने कभी न कभी अल नीनो और ला नीना के बारे में सुना ही होगा। ये दोनों क्या होते हैं? अल नीनो और ला नीना का मौसम पर किस तरह का प्रभाव पड़ता है? तथा अल नीनो और ला नीना में अंतर के बारे में आज हम जानेंगे।

अल नीनो और ला नीना क्या है? – What is El Nino and La Nina in Hindi

अल नीनो और ला नीना, प्रशांत महासागर में होने वाली जलवायु संबंधी घटनाएं या समुद्री जलधाराएं हैं, जो दुनिया भर के मौसम को प्रभावित करती हैं। प्रशांत महासागर की समुद्री सतह में पानी के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से जुड़े दो विपरीत और असामन्य पैटर्न को अल नीनो और ला नीना के नाम से जाना जाता है। अल नीनो के कारण पानी का तापमान गर्म होता है, जबकि ला नीना के कारण पानी का तापमान ठंडा होता है। यह दोनों घटनाएँ आमतौर पर 9-12 महीने तक बनी रहती हैं।

अलनीनो और लानीना की घटनाएँ औसतन हर 2 से 7 साल में उत्पन्न होती हैं, लेकिन इसके घटित होने का कोई नियमित समय नहीं होता है।

अल नीनो और ला नीना में अंतर – What are Differences Between El Nino and La Nina in Hindi

  • अल नीनो के कारण तापमान बढ़ता है अर्थात गर्म होता है, जबकि ला नीना के कारण तापमान कम होता है अर्थात ठंडा होता है। अल नीनो प्रशांत महासागरीय क्षेत्र की गर्म जलधारा है, जबकि ला नीना ठंडी जलधारा है।
  • अलनीनो में, मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागरीय सतह का तापमान सामान्य से ज्यादा गर्म होता है।वहीं, ला नीना में पूर्वी प्रशांत महासागरीय सतह का तापमान सामान्य से ज्यादा ठंडा होता है, और पश्चिमी प्रशांत महासागर में गर्म पानी जमा हो जाता है।
  • अल नीनो में, पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में उच्च सतही वायु दाब होता है।वहीं, ला नीना की स्थिति में पूर्वी प्रशांत महासागर में निम्न वायु सतही दाब उत्पन्न होता है।
  • आम तौर पर, अल नीनो की घटना ला नीना की तुलना में अधिक बार होती है।

अल नीनो और ला नीना क्यों होते हैं? – Why do El Nino and La Nina Occur in Hindi

अल नीनो और ला नीना क्यों होते हैं? - Why do El Nino and La Nina Occur in Hindi

प्रशांत महासागर की सतह और उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र के वायुमंडल के बीच आपसी बदलाव के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली घटनाएँ अल नीनो और ला नीना कहलाती हैं।

प्रशांत महासागर में सामान्य परिस्थितियों के दौरान, व्यापारिक पवनें भूमध्य रेखा के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं, जो गर्म पानी को दक्षिण अमेरिका से एशिया की ओर ले जाती हैं। उस गर्म पानी को बदलने के लिए, ठंडा पानी गहराई से ऊपर की ओर उठता है। अल नीनो और ला नीना इन सामान्य परिस्थितियों को भंग करने वाली दो विपरीत जलवायु घटाएं हैं। वैज्ञानिक इन दोनों घटनाओं को अल नीनो-दक्षिणी दोलन चक्र (El Niño-Southern Oscillation (ENSO) cycle) कहते हैं।

अल नीनो किसे कहते है? – What is el nino in Hindi

अलनीनो ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत महासागर के भूमध्यीय क्षेत्र में समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव से उत्पन्न एक ऐसी समुद्री घटना है, जिसके कारण समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से बहुत अधिक हो जाता है। इस जलवायु घटना के कारण समुद्री सतह का तापमान सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो सकता है।

अल नीनो के तथ्य: 

  • प्रशांत महासागर में पेरू पास के समुद्री तट के गर्म होने की घटना को अल नीनो कहा जाता है। यह घटना कुछ सालों के अंतराल पर घटित होती है।
  • इस घटना में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है।
  • इसकी वजह से समुद्र में चल रही हवाओं की रफ्तार और दिशा में बदलाव आता है।

अलनीनो का मौसम और तापमान पर असर – Effect of El Nino on Weather and Temperature in Hindi

अल नीनो दुनियाभर के मौसम पर बहुत गहरा असर डालता है। इसके आने से बारिश, ठंड, गर्मी सबमें अंतर दिखाई देता है। अल नीनो के दौरान पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ जाती हैं और पश्चिमी प्रशांत महासागर की सतह का गर्म पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है।

चूँकि अल नीनो की घटना जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है यही कारण है कि इस स्थिति में समुद्र की सतह का बढ़ा हुआ तापमान समुद्री जीव-जंतुओं पर बुरा असर पड़ता है। मछलियां और दूसरे समुद्री जीव अपनी औसत आयु पूरी करने से पहले ही मरने लगते हैं। इसके असर से बारिश की स्थिति में बदलाव आता है, अर्थात कम बारिश वाले क्षेत्रों में अधिक बारिश होती है। जब अल नीनो दक्षिण अमेरिका की तरफ बढ़ता है, तो उस साल भारत में कम बारिश होती है।

ला नीना क्या है? – What is La Nina in Hindi

लानीना के कारण समुद्री सतह का तापमान बहुत कम हो जाता है। भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर की सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ला नीना की स्थिति उत्पन्न होती है। इस स्थिति के उत्पन्न होने का सबसे प्रमुख कारण पूर्व से बहने वाली व्यापारिक पवनों (ट्रेड विंड) की गति काफी अधिक होना है। इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है। ला नीना के कारण दुनियाभर के तापमान पर असर होता है और औसत तापमान में अधिक गिरावट देखने को मिलती है। ला नीनो की घटना हर 2 से 5 साल में घटित होती है।

ला नीना का मौसम पर असर – Effect of La Nino on Weather in Hindi

ला नीना के कारण भारत देश में अच्छी वर्षा होती है। इसका असर चक्रवात की स्थिति पर भी देखने को मिलता है। यह उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की दिशा को बदल सकता है। ला नीना के कारण उत्तरी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया की जलवायु में नमी की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है, इंडोनेशिया और आसपास के इलाकों में बारिश अधिक हो सकती है। वहीं ईक्वाडोर और पेरू में सूखे जैसे हालात बनते हैं। आमतौर पर ला नीना की स्थिति में उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में ठंडा मौसम और दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में गर्म मौसम होता है। ला नीना के दौरान भारत में भयंकर ठंड पड़ती है और बारिश भी अच्छी होती है।

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